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उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की परीक्षा के लिए NHDP (National Highways Development Project) से संबंधित कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्य, 2025 की स्थिति के अनुसार

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  1. उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की परीक्षा के लिए NHDP (National Highways Development Project) से संबंधित कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्य, 2025 की स्थिति के अनुसार, यहाँ दिए गए हैं:

NHDP की पृष्ठभूमि और उद्देश्य:

* शुरुआत: NHDP की अवधारणा 1998 में सामने आई, और इसका आधिकारिक निर्माण कार्य 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शुरू किया गया।

* प्रबंधन: यह परियोजना भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के तहत प्रबंधित की जाती है।

* मुख्य उद्देश्य: भारत में प्रमुख राजमार्गों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार अपग्रेड करना, उनका पुनर्वास करना और चौड़ा करना है। इसका लक्ष्य देश की आर्थिक वृद्धि, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी, पर्यटन विकास और रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करना है।

* परियोजना का दायरा: NHDP में कुल मिलाकर लगभग 49,260 किमी सड़कों और राजमार्गों का एक विशाल नेटवर्क शामिल है।

NHDP के प्रमुख चरण (Phases):

NHDP को कई चरणों में बांटा गया है, जिनमें से अधिकांश पूरे हो चुके हैं या प्रगति पर हैं:

* चरण I: स्वर्णिम चतुर्भुज (Golden Quadrilateral): यह 5,846 किमी का राजमार्ग नेटवर्क है जो भारत के चार प्रमुख महानगरों – दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता को जोड़ता है। यह 2012 में पूरी तरह से निर्मित हो चुका था।

* चरण II: उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम गलियारा (North-South & East-West Corridor): यह श्रीनगर से कन्याकुमारी और पोरबंदर से सिलचर तक भारत को जोड़ता है। इसका भी अधिकांश कार्य पूरा हो चुका है।

* चरण III, IV और V: ये चरण मुख्य रूप से चुनिंदा दो-लेन वाले राजमार्गों को चार-लेन में, और चार-लेन को छह-लेन में बदलने पर केंद्रित थे। इसमें उच्च घनत्व वाले गलियारों और एक्सप्रेसवे का विकास भी शामिल था।

* चरण VI और VII: इन चरणों का ध्यान एक्सप्रेसवे (4 से अधिक लेन वाले राजमार्ग) और रिंग रोड के निर्माण पर अधिक रहा।

वर्तमान स्थिति (2025 तक के अपडेट):

* समाहित परियोजना (Subsumed Project): NHDP अब भारतमाला परियोजना (Bharatmala Pariyojana) जैसी बड़ी और व्यापक परियोजनाओं में समाहित हो गया है। भारतमाला परियोजना का उद्देश्य देश भर में आर्थिक गलियारे, सीमा और तटीय सड़कें, पिछड़े क्षेत्रों को जोड़ने वाली सड़कें, धार्मिक और पर्यटन स्थलों को जोड़ने वाली सड़कें और एक्सप्रेसवे बनाना है।

* निर्माण की गति: राजमार्ग निर्माण की गति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2013-14 में यह लगभग 11.6 किमी/दिन थी, जो 2025 तक बढ़कर लगभग 34 किमी/दिन हो गई है।

* राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई: राष्ट्रीय राजमार्गों (NHs) का नेटवर्क 2014 में 91,287 किमी से बढ़कर मार्च 2025 तक लगभग 1,46,204 किमी हो गया है, जो लगभग 60% की वृद्धि दर्शाता है।

* उच्च गति गलियारे (High-Speed Corridors): उच्च गति गलियारों (जैसे एक्सप्रेसवे) की लंबाई 2014 में 93 किमी से बढ़कर वर्तमान में 2,474 किमी हो गई है। लक्ष्य मार्च 2025 तक इसे 4,827 किमी तक बढ़ाना है।

* राजमार्गों का मुद्रीकरण (Monetisation): सरकार टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर (TOT) मॉडल के माध्यम से पूरे हुए राजमार्ग परियोजनाओं के मुद्रीकरण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है ताकि नए निर्माण के लिए धन जुटाया जा सके। 2025-26 के लिए, लगभग ₹30,000 करोड़ मुद्रीकरण और ₹35,000 करोड़ निजी निवेश से जुटाने का लक्ष्य है।

* सड़क सुरक्षा: सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए भी उपाय किए जा रहे हैं, जैसे दुर्घटना-संभावित “ब्लैक स्पॉट” की पहचान और सुधार, और सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस उपचार योजना का विस्तार।

उत्तर प्रदेश के लिए विशिष्ट महत्व (UPPSC के संदर्भ में):

* एक्सप्रेसवे का केंद्र: उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे नेटवर्क के विकास में अग्रणी राज्यों में से एक है। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, गंगा एक्सप्रेसवे (निर्माणाधीन), गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे जैसे कई एक्सप्रेसवे NHDP और बाद की परियोजनाओं के तहत बनाए गए हैं या बनाए जा रहे हैं। ये राज्य की अर्थव्यवस्था और कनेक्टिविटी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

* धार्मिक और पर्यटन स्थलों को जोड़ना: उत्तर प्रदेश सरकार धार्मिक और पर्यटन महत्व के स्थानों को जोड़ने वाली सड़कों के पुनरुद्धार और मजबूती पर विशेष ध्यान दे रही है (जैसे अयोध्या, वाराणसी, मथुरा, चित्रकूट, प्रयागराज)। 2025-26 वित्तीय वर्ष के लिए इस पर ₹4,560 करोड़ खर्च करने की योजना है। यह सड़क कनेक्टिविटी राज्य के पर्यटन और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देगी।

* लखनऊ रिंग रोड: लखनऊ में रिंग रोड परियोजना के कई पैकेजों का निर्माण भी NHDP और संबंधित योजनाओं के तहत किया गया है, जो शहर में यातायात प्रबंधन में सुधार करते हैं।

* आर्थिक गलियारे: उत्तर प्रदेश में कई आर्थिक गलियारे बन रहे हैं जो औद्योगिक विकास और लॉजिस्टिक्स को बढ़ावा देंगे, जैसे कि गंगा एक्सप्रेसवे के साथ विकसित होने वाले औद्योगिक गलियारेउत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की परीक्षा के लिए NHDP (National Highways Development Project) से संबंधित कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्य, 2025 की स्थिति के अनुसार, यहाँ दिए गए हैं:
NHDP की पृष्ठभूमि और उद्देश्य:
* शुरुआत: NHDP की अवधारणा 1998 में सामने आई, और इसका आधिकारिक निर्माण कार्य 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शुरू किया गया।
* प्रबंधन: यह परियोजना भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के तहत प्रबंधित की जाती है।
* मुख्य उद्देश्य: भारत में प्रमुख राजमार्गों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार अपग्रेड करना, उनका पुनर्वास करना और चौड़ा करना है। इसका लक्ष्य देश की आर्थिक वृद्धि, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी, पर्यटन विकास और रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करना है।
* परियोजना का दायरा: NHDP में कुल मिलाकर लगभग 49,260 किमी सड़कों और राजमार्गों का एक विशाल नेटवर्क शामिल है।
NHDP के प्रमुख चरण (Phases):
NHDP को कई चरणों में बांटा गया है, जिनमें से अधिकांश पूरे हो चुके हैं या प्रगति पर हैं:
* चरण I: स्वर्णिम चतुर्भुज (Golden Quadrilateral): यह 5,846 किमी का राजमार्ग नेटवर्क है जो भारत के चार प्रमुख महानगरों – दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता को जोड़ता है। यह 2012 में पूरी तरह से निर्मित हो चुका था।
* चरण II: उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम गलियारा (North-South & East-West Corridor): यह श्रीनगर से कन्याकुमारी और पोरबंदर से सिलचर तक भारत को जोड़ता है। इसका भी अधिकांश कार्य पूरा हो चुका है।
* चरण III, IV और V: ये चरण मुख्य रूप से चुनिंदा दो-लेन वाले राजमार्गों को चार-लेन में, और चार-लेन को छह-लेन में बदलने पर केंद्रित थे। इसमें उच्च घनत्व वाले गलियारों और एक्सप्रेसवे का विकास भी शामिल था।
* चरण VI और VII: इन चरणों का ध्यान एक्सप्रेसवे (4 से अधिक लेन वाले राजमार्ग) और रिंग रोड के निर्माण पर अधिक रहा।
वर्तमान स्थिति (2025 तक के अपडेट):
* समाहित परियोजना (Subsumed Project): NHDP अब भारतमाला परियोजना (Bharatmala Pariyojana) जैसी बड़ी और व्यापक परियोजनाओं में समाहित हो गया है। भारतमाला परियोजना का उद्देश्य देश भर में आर्थिक गलियारे, सीमा और तटीय सड़कें, पिछड़े क्षेत्रों को जोड़ने वाली सड़कें, धार्मिक और पर्यटन स्थलों को जोड़ने वाली सड़कें और एक्सप्रेसवे बनाना है।
* निर्माण की गति: राजमार्ग निर्माण की गति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2013-14 में यह लगभग 11.6 किमी/दिन थी, जो 2025 तक बढ़कर लगभग 34 किमी/दिन हो गई है।
* राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई: राष्ट्रीय राजमार्गों (NHs) का नेटवर्क 2014 में 91,287 किमी से बढ़कर मार्च 2025 तक लगभग 1,46,204 किमी हो गया है, जो लगभग 60% की वृद्धि दर्शाता है।
* उच्च गति गलियारे (High-Speed Corridors): उच्च गति गलियारों (जैसे एक्सप्रेसवे) की लंबाई 2014 में 93 किमी से बढ़कर वर्तमान में 2,474 किमी हो गई है। लक्ष्य मार्च 2025 तक इसे 4,827 किमी तक बढ़ाना है।
* राजमार्गों का मुद्रीकरण (Monetisation): सरकार टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर (TOT) मॉडल के माध्यम से पूरे हुए राजमार्ग परियोजनाओं के मुद्रीकरण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है ताकि नए निर्माण के लिए धन जुटाया जा सके। 2025-26 के लिए, लगभग ₹30,000 करोड़ मुद्रीकरण और ₹35,000 करोड़ निजी निवेश से जुटाने का लक्ष्य है।
* सड़क सुरक्षा: सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए भी उपाय किए जा रहे हैं, जैसे दुर्घटना-संभावित “ब्लैक स्पॉट” की पहचान और सुधार, और सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस उपचार योजना का विस्तार।
उत्तर प्रदेश के लिए विशिष्ट महत्व (UPPSC के संदर्भ में):
* एक्सप्रेसवे का केंद्र: उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे नेटवर्क के विकास में अग्रणी राज्यों में से एक है। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, गंगा एक्सप्रेसवे (निर्माणाधीन), गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे जैसे कई एक्सप्रेसवे NHDP और बाद की परियोजनाओं के तहत बनाए गए हैं या बनाए जा रहे हैं। ये राज्य की अर्थव्यवस्था और कनेक्टिविटी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
* धार्मिक और पर्यटन स्थलों को जोड़ना: उत्तर प्रदेश सरकार धार्मिक और पर्यटन महत्व के स्थानों को जोड़ने वाली सड़कों के पुनरुद्धार और मजबूती पर विशेष ध्यान दे रही है (जैसे अयोध्या, वाराणसी, मथुरा, चित्रकूट, प्रयागराज)। 2025-26 वित्तीय वर्ष के लिए इस पर ₹4,560 करोड़ खर्च करने की योजना है। यह सड़क कनेक्टिविटी राज्य के पर्यटन और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देगी।
* लखनऊ रिंग रोड: लखनऊ में रिंग रोड परियोजना के कई पैकेजों का निर्माण भी NHDP और संबंधित योजनाओं के तहत किया गया है, जो शहर में यातायात प्रबंधन में सुधार करते हैं।
* आर्थिक गलियारे: उत्तर प्रदेश में कई आर्थिक गलियारे बन रहे हैं जो औद्योगिक विकास और लॉजिस्टिक्स को बढ़ावा देंगे, जैसे कि गंगा एक्सप्रेसवे के साथ विकसित होने वाले औद्योगिक गलियारे।
इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, आप UPPSC परीक्षा के लिए NHDP और भारत में सड़क अवसंरचना विकास से संबंधित प्रश्नों का बेहतर उत्तर दे सकते हैं।

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